क्षेत्रीय
02-Mar-2022

2017 में हिंदुत्व, राम मंदिर और हिंदू-मुसलमान के बीच ध्रुवीकरण कराकर उत्तर प्रदेश की 402 में से 312 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी। यह आकलन है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है । संघ ने अपनी यह गुप्त आकलन रिपोर्ट भाजपा आलाकमान को भेजी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार के प्रति लोगों का आक्रोश इस कदर है कि हिंदू-मुस्लिम के बीच ध्रुवीकरण के सारे प्रयास फेल हो गए हैं। इस कारण अबकी बार भाजपा की सरकार बनना तो दूर की बात है, पार्टी को 100 सीटें मिलना भी मुश्किल लग रहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में रविवार का पांचवें चरण का मतदान संपन्न हुआ। इन पांच चरणों के मतदान में मतदान करने वाले मतदाताओं का भाजपा के प्रति आक्रोश और निराशा देखने को मिली है। संघ सूत्रों का कहना है कि पहले चरण के प्रचार के दौरान भाजपा सरकार, नेताओं, विधायकों के प्रति जनता की नाराजगी साफ दिखने लगी थी। उसके बाद संघ ने स्वयंसेवकों के माध्यम से सर्वे कराकर आकलन रिपोर्ट तैयार की है जो निराशाजनक संकेत दे रही है। गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, कुशासन से त्रस्त जनता में भाजपा और संघ की रणनीति का कोई असर होता नहीं दिख रहा है। 2017 में जब भाजपा को दो तिहाई बहुमत की प्रचंड जीत मिली थी तब भी सपा और बसपा का वोट शेयर 44 प्रतिशत था। जबकि भाजपा का 40 प्रतिशत। लेकिन मई 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका कर रख दिया। उस चुनाव में भाजपा ने 80 में 62 सीटें (दो अन्य सहयोगी दलों के खाते में गईं) जीतीं। तब भाजपा को 50 प्रतिशत वोट शेयर मिला था और सपा-बसपा का वोट शेयर संयुक्तरूप से 37.5 प्रतिशत तक गिर गया था। इसी के आधार पर इस बार भाजपा फंस गई है, जिसका नुकसान उसे उठाना पड़ सकता है।


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