भोपाल - मध्यप्रदेश के दमोह में होने जा रहा उपचुनाव पूरे प्रदेश की जनता पर भारी पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण के बीच हो रहे उपचुनाव में सत्ता से लेकर विपक्ष तक के तमाम नेता पिछले एक महीने से दमोह पर फोकस बनाये हुए है। होली के आसपास कोरोना महाराष्ट्र के साथ ही मध्यप्रदेश में पैर पसार रहा था। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना की रोकथाम की जगह दमोह के साथ ही पश्चिम बंगाल, केरल के उपचुनाव में व्यस्त थे। वही विपक्ष के नेता भी सत्ता पक्ष के साथ कदमताल मिलते हुए दमोह उपचुनाव की रानीति बनाने में जुटे रहे। कोरोना को शुरुवाती दौर में कंट्रोल करने के लिए बेहतर रणनीति के साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करना सरकार की पहली प्राथमिकता थी। लेकिन सरकार ने कोरोना को नजरअंदाज करती रही इसके नतीजे में बढ़ते मरीजों के साथ सरकारी व्यवस्था चरमरा गई। विपक्ष भी बिगड़ती व्यवस्था को उजागर करने और सरकार पर नकेल कसने की जगह चुनावी सभाओं में वोट बटोरता नजर आया। स्थिति नियंत्रित से बाहर होते देख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आननफानन में अपना दमोह में होने वाला रोड शो रद्द कर दिया और जनता के बढ़ते विरोध को शांत करने की कोशिस में जुट गए। आज भी सत्ता और विपक्ष के तमाम बड़े नेता जनता को अपने हाल पर छोड़ दमोह में डेरा जमाये हुए है।