कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बयान सामने आया है उन्होंने बयान देते हुए कहा"नरेंद्र मोदी जी और भारतीय जनता पार्टी शायद किसानों की ताकत नहीं समझती कांग्रेस पार्टी ने जब भूमि अधिग्रहण अधिनियम लाए भाजपा ने उसका विरोध किया और पहला काम नरेंद्र मोदी जी ने किया था कि उसके खिलाफ ऑर्डिनेंस निकाला था लेकिन जब किसानों ने विरोध किया तब मजबूरी में उसे स्वीकार करना पड़ा। हालांकि राज्य शासन इसका पालन नहीं कर रहे हैं मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में जो ज़मीनें अधिग्रहित की जाती हैं उसका सरकारी रेट से चार गुना मुआवजा देना चाहिए, वह नहीं दिया जाता है। कहीं-कहीं दोगुना मुआवजा दिया जा रहा है। और फिर यह तीनों किसान विरोधी कानून लाए गए और पूरी भाजपा लगी रही कि बहुत अच्छे कानून है बहुत अच्छे कानून हैं, बड़ी प्रगति होगी यहां तक कि नरेंद्र मोदी जी ने अपने हर भाषण में कुछ ना कुछ किसानों के खिलाफ आए हुए इस कानून के पक्ष में बात की लेकिन आज फ़िर से लोकतंत्र की विजय हुई, किसान आंदोलन की विजय हुई। उन बहादुर किसानों को बधाई देता हूं जो आज 1 साल से धरने पर बैठे थे। उन शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने इस कानून के विरोध में संघर्ष करते हुए अपनी जान दी। आज इस अवसर पर मैं बहुत प्रसन्नता के साथ अपनी बात कहना चाहता हूं की देश के किसानों ने एक बार फिर से जता दिया कि उनसे बिना बिना पूछे कोई भी अगर आप कानून लाएंगे तो किसान अपना हित समझते हैं आप उन्हें मूर्ख नही बना सकते। मैं किसानों को बहुत बधाई देता हूँ और मेरी प्रधानमंत्री जी से तीन मांगे हैं। आने वाले सेशन में वे इस कानून को निरस्त करने के लिए कानून लाएं ताकि उस पर पार्लियामेंट की सील लग सके नम्बर एक। नम्बर दो, इस मामले में उसको कानूनन स्वरूप देने के लिए वे सभी राजनीतिक दल, सभी किसानों के संगठनों के साथ चर्चा करें और उसके बाद आने वाले सत्र में बजट सेशन में किसानों के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए कानून लाएं और तीसरा जो शहीद हुए हैं पूरे तरीके से सम्मान के साथ उनकी शहादत को स्वीकार करते हुए उन्हें मुआवज़ा दिया जाए, राहत राशि दी जाए।