क्षेत्रीय
09-Oct-2021

यहां स्थित 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान है बिजासन देवी। यह देवी मां दुर्गा का अवतार हैं। देवी मां का यह मंदिर MP की राजधानी भोपाल से 75 किमी दूर है। वहीं यह पहाड़ी मां नर्मदा से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है। जबकि इस पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ वर्षों में सड़क मार्ग भी बना दिया गया है। यहां पर दो पहिया और चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता करीब साढ़े 4 किलोमीटर लंबा है। इसके अलावा दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे भी शुरू हो गया है, जिसकी मदद से यहां 5 मिनट में पहुंचा जा माता पार्वती का अवतार हैं विजयासन देवीपुराणों के अनुसार देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था और सृष्टि की रक्षा की थी। विजयासन देवी को कई लोग कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं। माता कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी का आशीर्वाद देती हैं, वहीं भक्तों की सूनी गोद भी भरती हैं। भक्तों की ही श्रद्धा है कि इस देवीधाम का महत्व किसी शक्तिपीठ से कम नहीं हैं। स्वयं-भू है माता की प्रतिमामां विजयासन देवी की प्रतिमा स्वयं-भू है। यह प्रतिमा माता पार्वती की है, जो वात्सल्य भाव से अपनी गोद में भगवान गणेश को लेकर बैठी हुई है। इस भव्य मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। भक्त कहते हैं कि एक मंदिर में कई देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने का सभी को सौभाग्य मिल जाता है सीहोर जिले की रेहटी तहसील के ग्राम सलकनपुर स्थिती पहाडी पर भव्य मंदिर मैं विराजित हैं ,जहाँँ रूकने खाने सहित सारी व्यवस्थाऐ उपलब्ध हैं,साथ ही सडक मार्ग सहित दर्शनार्थियों को रोपवे ओर सीडी से पहाडी पर पहुँचा जा सकता है,इन सबके बावजूद भी यहाँ भक्त पदयात्रा, दण्तवत यात्रा कर ज्यादातर पैदल ही पहुँचते हैं। भक्तो का मानना है कि माता रानी के दर्शन मात्र से ही भक्तो के सारे कष्ट हरने सहित सारी मनोकामनाऐ पूर्ण हो जाती हैं। ऐसी एक कहानीओर भी प्रचलित है कि सेकड़ो वर्ष पूर्ब जंगल मे बंजारों के पशु गुम हो गये थे उन्होंने जंगल मे बहुत खोजे पर नही मिल फिर जिस जगह माता जी का मंदिर है वह एक कन्या ने दर्शन दे कर कहा तुम्हारे पशु उस दिशा में मिलेंगे कन्या की बात सच निकली तभी से इस जगह पूजन शुरू हुई यहाँ निसंतान दंपत्ति उल्टे हाथे लगाते हैं जब गोद भर जाने के बाद उन्हें सीधे हाथे करने पड़ते हैं और भी बहुत सी मनोकामना पूरी होती है पहले छोटी सी मड़िया हुआ करती थी विगत पन्द्रह वर्षो से यह भब्य विकास हुआ औरअब भब्य मंदिर बना है आगे भी अभी नया प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बतया गया है जिसमें हो भब्य मंदिर और सलकनपुर में नीचे भी सुविधाओं का विस्तार होगा सलकनपुर पहुचे के लिये भोपाल से 75 किमी ,होशंगाबाद से 40 किमी,इन्दोर से 185 किमी ,सीहोर से 95 किमी है साथ ही यहाँ दूर दूर से दर्शनार्थियों की भीड़ रहती है दोनों नवरात्रि में लाखों की संख्या हो जाती है


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