नगर की यातायात व्यवस्था बनाने के लिए गत वर्ष २०१३ में नपा और पुलिस प्रशासन के सहयोग से शहर के दो स्थानो पर ट्राफिक सिग्रल लगाया गया था। जिसका ठेका बाहरी राज्यो की कम्पनियों को दिया गया था। जिन्होने काली पुतली चौक पर लगा ट्राफिक सिग्रल शुरू कर दिया गया लेकिन आज तक हनुमान चौक पर लगाया गया ट्राफिक सिग्रल शोपीश बना हुआ है। इस संबध मे बताया गया कि वर्ष २०१३ में शहर मे दो स्थानो पर ट्राफिक सिग्रल लगाने की कवायद शुरू कर दी गई थी और सिग्रल लगाने का कार्य २०१८ में किया गया था। लेकिन शहर के लिए बड़े ही दुख की बात यह है कि २०२१ शुरू होने वाला है और हनुमान चौक पर लगाया गया सिग्रल को अभी तक शुरू नही किया गया। तिरोड़ी के ग्राम बोथवा में भाजपा का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ शनिवार को किया गया आयोजन में राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे ने हिस्सा लिया भारतीय जनता पार्टी प्रदेश नेतृत्व की मंशानुरूप भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश भटेरे के मार्गदर्शन में इस आयोजन का शुभारंभ किया गया प्रशिक्षण में रामकिशोर कावरे ने भी शिरकत की जिसमें उन्होंने भाजपा की प्रदेश सरकार की उपलब्धि गिनवाई इस प्रशिक्षण में विनोद गोठिया ने भाजपा के इतिहास एवं विकास पर अपने विचार रखे प्रशिक्षण में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन ने भी हिस्सा लिया रविवार को प्रशिक्षण का समापन होगा इस दिन अन्य वक्ता गण प्रशिक्षण में हिस्सा लेंगे एवं अपने विचार रखेगे इस प्रशिक्षण में तिरोड़ी एवं कटंगी मंडल के भाजपा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया महिलाओं की उपस्थिति भी काफी संख्या में रही। जिले के दूरस्थ एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिरसा में किसानों का अनुपयोगी भूमि पर काजू के पौधे लगाने की ओर तेजी से रूझान बढ़ता जा रहा है। किसानों द्वारा उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ लेकर आधुनिक ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग कर काजू के पौधे लगाये जा रहे है। जिसके फलस्वरूप जिले के काजू के फलोद्योन में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। ग्राम भीमलाट की मधुलता उईके ने अपनी अनुपयोगी जमीन पर ३२० काजू के पौधे लगाकर क्षेत्र के अन्य किसानों को भी काजू की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है। वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी श्री हरगोविंद धुवारे ने बताया कि एक वर्ष पहले बिरसा विकासखंड के ग्राम जगला के पहाड़ी क्षेत्र की अनुपयोगी जमीन पर काजू के पौधे लगाये गये थे। काजू के पौधे दक्षिण के राज्यों से लाकर लगाये गये थे जिले के क्षेत्रीय ग्रामीणों का पलायन फिर से शुरू हो गया है। जिसके कारण यात्री बसे हो या फिर अपने साधनो से जाने वाले ग्रामीणों की भीड़ अधिक नजर आने लगी है। क्योकि यह ग्रामीण महानगरों में रोजगार तलाश कर अपना जीवन-यापन करते हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में करीब ६९३ ग्राम पंचायतें है। इनमें से करीब डेढ़ से दो सैकड़ा पंचायतों के ग्रामीण पलायन करते हैं। पलायन का यह सिलसिला जिले में वर्षों से जारी है। लेकिन आज तक इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है।