अप्रैल माह से भीषण गर्मी तेज धूप के चलते नदियों और तालाबों का जल स्तर कम हो गया है, जिससे ग्रामीण अंचलों में कुएं और हैण्डपंप का जल स्तर नीचे जाने से पानी की समस्या होने लगी है। गांव में कुछ हैण्डपंप बंद पड़े है और कुछ में जंगरोधक गंदा पानी आ रहा है जो पीने लायक नहीं है जिससे ग्रामीणों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बंद हैण्डपंप को सुधारे जाने की प्रशासन से मांग की है। बालाघाट जिले का एक गांव, बिते कई वर्षो से विकास से अछूता था। जहां चलने के लिये ना तो पक्की सडक थी और ना ही गांव में रोशनी। हालात कुछ ऐसे थे कि ग्रामीणो को पेयजल तक के लिये तरसना पडता था, ऐसे मे ग्रामीण दूर पहाडी और झिरिया के पानी से अपनी प्याज बुझाते आ रहे थे। लेकिन पिछले 7वर्षों से इतना कुछ बदल गया कि यह गांव अब सुविधाओं के नगमे गुनगुना रहा है और यह सबकुछ संभव हो पाया है आदिवासी सरपंच बस्तरसिंह पंद्रे के अथक प्रयासो सें दरअसल, यह कहानी है किरनापुर जनपद के अंतर्गत आने वाली नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत कसंगी की। जहां के आदिवासी सरपंच ने शासन की योजनाओं के तहत गांव में विकास की इबादत लिख डाली। अब विकास की गंगा बह रही है और लोगो को हर एक सुविधा का लाभ मिल रहा है जिसके लिये वे वर्षो से तरसते आ रहे थे। चयनित आंगनबाड़ी सहायिका से 5 हजार की रिश्वत लेते हुए जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने कार्यालय में परियोजना अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि परियोजना अधिकारी ने 20 हजार रुपए रिश्वत की डिमांड की थी। जिसमे 10 हजार में बात तय हुई। जिसमे 5 हजार रुपए पहले परियोजना अधिकारी ले चुके थे और शुक्रवार को कार्यालय में रिश्वत की दूसरी किश्त लेते धरे गये। वही सूत्रों के द्वारा बताया जाता है कि जिले के तात्कालिन कलेक्टर दीपक आर्य का मित्र और क्लासमेट भी था और उनके नाम से यह दादागिरी भी करता था। शहर से सटी ग्राम कोसमी में शराब दुकान का मामला थम नहीं रहा है। वार्ड नंबर 10 कोसमी की महिलाओं ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर शराब दुकान हटाने की मांग की गई। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि शराब दुकान हटाने को लेकर काफी समय से आंदोलन और ज्ञापन और आबकारी विभाग का घेराव भी किया गया लेकिन प्रशासन द्वारा दुकान नहीं हटाई जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि शीघ्र शराब दुकान नहीं हटाई गई तो चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा जिसकी जि मेदारी प्रशासन की होगी। बालाघाट जिले में अमानक स्तर की दवाइयों के निर्माण की अनेक इकाईयां संचालित की जा रही है इन इकाइयों के नाम से जीवन रक्षक दवाइयों को भी निर्माण किया जा रहा है जानकारी के अनुसार ऐसी लगभग 10 इकाईयां संचालित है जो प्रदेश और प्रदेश के बाहर की कंपनियों से दवाइयां लेकर अपने नाम पर निर्माण और मार्केटिंग कर रहे है।ऐसा ही एक प्रकरण जिले के वारासिवनी नगर में प्रकाश में आया है। जिसके द्वारा दवाईयों रेपर तथा पैकेट पर सिंको फार्मो प्लाट नंबर 55 सम्राट नगर वल्लभभाई पटेल मार्ग फर्जी पता लिखा गया है। ऐसी कोई इकाई वारासिवनी में कहीं दिखाई नहीं दे रही है। ऐसा फर्जीवाड़ा आखिर क्यों किया जा रहा है किसके दम पर किया जा रहा है और शासन प्रशासन ऐसे फर्जीवाड़े पर कार्यवाही करने की बजाय मूकदर्शक बना बैठा है। अप्रैल माह की भीषण गर्मी के आखिरी सप्ताह में कच्चे-पक्के रास्तों से पैदल व अन्य साधनों से लगभग 20-30 किमी का सफर तय करते हुए आदिवासी परिवार सस्ता अनाज लेने महिलाएं और पुरूष आज भी राशन दुकान पहुंचते है। लेकिन विडम्बना यह है कि नेटवर्क समस्या के कारण उन्हे दिनभर के बाद बेरंग ही लौटना पडता है। दरअसल बैहर ,बिरसा ,लांजी के बहुत से आदिवासी दुर्गम गांवों मे नेटवर्क की बड़ी समस्या चुनौती बनकर आज भी खड़ी है। और नेटवर्क समस्या के चलते बेरंग लौटना पड़ता है।