बालाघाट जिले के वन क्षत्रो और पहाड़ियों पर आग लगातार बेकाबू होती जा रही है। जिससे वन विभाग का अमला गहरी चिंता में पडा गया है तो वही कर्मचारी और वन समितियो से जुडे श्रमिक जंगलो में फैलती आग को बुझाने में प्रयासरत तो है लेकिन सफलता हाथ नही लग रही है। पहाड़ियों पर आग की लपटें दूर से ही अग्निज्वाला के रूप में नजर आ रही है और उंचे आसमान तक उठता धुंआ वातावरण पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। यु कहो इन दिनो बालाघाट जिले को प्राकृतिक वातावरण दूषित हो रहा है। दम घोटने वाले धुंए के गुबार अब पूरी तरह हलाकान मच गया है तो वही तेजी से बढती आग की लपटे सडको पर चलने वाले राहगीरो को प्रभावित कर रही है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जहंा पुलिस और नपा प्रशासन के द्वारा रोको टोको के तहत शहर के सभी चौक चौराहो पर तैनात होकर बिना मास्क के वाहन चालको के चालान काटकर उन्हे मास्क लगाने की समझाईश दे रही है वही रविवार की सुबह से ही शहर के मोतीनगर, आम्बेडकर चौक, हनुमान चौक सहित अन्य चौक चौराहो पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी इसके बाद भी लोगों का हुजूम सडक़ों पर नजर आ रहा था। इस हुजूम को रोकने के लिए पुलिस ने इन्हें रोका और टोका इसके बाद समझाइश भी दी। हालांकि उन्होंने पुलिस को बाहर निकलने के ऐसे ऐसे बहाने बताए कि पुलिस भी चौंक कई । पुलिस ने भी सख्ती दिखाई और घूमने वालों के चालान काट दिए। मध्यप्रदेश में बालाघाट कृषि प्रधान प्रमुख धान उत्पादक जिले के रूप में पहचाना जाता है यहां उत्पादित की जाने वाली चिन्नौर प्रजाति की धान और उससे बनाये जाने वाले सुगंधित चावल की विशेष मांग उपभोक्ताओं में बनी रहती है। वर्षों पूर्व चिन्नौर धान की पैदावार बडे रकबे में ली जाती थी लेकिन अब उसका उत्पादन सीमित रकबे में किया जा रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि बालाघाट जिले में मात्र १३ हेक्टर क्षेत्र में ५० क्विंटल काली मूंछ धान का उत्पादन प्रायोजित तौर पर किया जा रहा है। लालबर्रा क्षेत्र के ग्राम बिरसोला में प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी स्व. कुशनाजी चौड़े की स्मृति में दो दिवसीय बैल जोड़ी पट प्रतियोगिता आयोजित हुई। रविवार को फाईनल दौड़ संपन्न हुई। पट प्रतियोगिता में जिले की बैलजोड़ी के अलावा अन्य जिलों की जोड़ी भी शामिल हुई। बैलजोड़ी पट देखने के लिये दर्शकों की बड़ी सं या में भीड़ रही। जिले के स्वयं सेवी संस्थाओं के गठन के लिये रविवार को स्थानीय मोती गार्डन में बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का चयन किया गया। जिसमें अध्यक्ष पद के लिये सर्व स मति से राजकुमार लिल्हारे को मनोनीत किया गया अप्रैल से ग्रीष्म ऋतु जैसी गर्मी का अहसास होने लगा है, आग उगलते सूरज के आगे इन दिनों सभी जीवधारी त्राहि-त्राहि कर उठे हैं। मनुष्य तो जैसे-तैसे अपने बचाव के साधन ढूंढकर राहत पा लेता है, लेकिन पशु-पक्षियों के सामने संकट की स्थिति पैदा हो जाती है। पानी की तलाश में वे मीलों का सफर तय कर रहे हैं