1 अब पूरी तरह से थम गए बसों के पहिए, बस आपरेटरो ने बसें की गई सरेंडर 2 सहकारी समिति सेवती में खाद की कमी से किसान हो रहे परेशान 3 और..संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने जनपद कार्यालय के सामने मटकी फोड़ किया प्रदर्शन 1 कल तक जो यात्री बसे, सडको पर फर्राटे भरती नजर आ रही थी, आज उन्ही यात्री बसो के पहिये अचानक थाम दिये गये है। जहां माना जा रहा है कि कोविड सक्रमंण में खडी बसो का टैक्स माफ ना होना ,डीजल में बेतहाशा बढौतरी एवं आपरेटरो की विभिन्न मांगो को शासन द्वारा नही मानी जा रही है जिससे आक्रोशित होकर बस आपरेटरो ने अधिकांश बसो का संचालन बंद कर दिया है। जहां करीब 200 बसो को सरेंडर कर दिया गया है। कारण यह बताया गया है कि कोविड संक्रमण काल के दौरान हुए लॉकडाउन में शासन व जिला प्रशासन के निर्देश पर बस आपॅरेटरो द्वारा बसो का संचालन बंद कर दिया गया था। लेकिन.. मई अप्रैल माह का परिवहन टैैक्स शासन द्वारा माफ नही किया गया। जबकि परिवहन विभाग और जिला प्रशासन के द्वारा आपरेंटरो को आश्वास्त किया गया था कि कोविड संक्रमण काल के दौरान टैक्स माफ कर दिया जायेगा। 2 वर्तमान में किसानों की खरीफ की फसल धान की रोपाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है लेकिन सहकारी समितियो में खाद की पर्याप्त व्यवस्था न होने से किसान परेशान हो रहे है,एक तरफ तो सरकार किसानों की आय दुगुनी करने की बात करती है वही समय पर किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नही करवा पा रही है,जिसके चलते किसान बाजार से दुगुनी कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर है। ऐसी ही अव्यवस्था सहकारी समिति सेवती में देखने मे आयी हैं, जहाँ पर अभी तक आधे किसानों को ही खाद मिल पाया है,इस सम्बंध में सहकारी समिति के कर्मचारियो से इसका कारण कम आवंटन का प्राप्त होना बताया है ... 3 म.प्र पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के द्वारा 22 जुलाई से पंचायत कर्मियों के 17 संगठनों द्वारा किए जा रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल के 13 वें दिन ३ अगस्त को जिला स्तर पर जनपद पंचायत कार्यालय के सामने मटकी फोड़ प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए लंबित जायज मांगें पूरी नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की गई। हड़तालियों ने कहा कि शीघ्र मांग पूरी नहीं की गई तो उग्र आंदोलन करने बाध्य होना पड़ेगा। 4 सन् 1875 में ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित बालाघाट जिला जेल के बैरक की छत इन दिनो बारिश के कारण टपक रही है। जिसको लेकर जेल अधिक्षक ने गहरी चिंता जाहिर की है और उन्होने छत के मरम्मत कार्य के लिये कार्यपालय यंत्री को पत्र लिखा है। गौरतलब है कि बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित और संवेदनशील जिला है। जहां अपराधिक गतिविधियां निरंतर बढती जा रही है। जहां क्षमता के अनुसार दुगुनी संख्या में कैदियों की तादात बढ रही है। लेकिन ऐसे में जेल की दुर्दशा से जुडी खबर आना बेहद चिंता जनक है। बालाघाट जेल की स्थापना को करीब 146 साल बीत चुके है। लेकिन कही ना कहीं जेल भवन अब नये विकास की बांट जोह रहा है। वर्तमान में जेल की एक बैरक की छत बारिश होने पर टपकती है। इसके साथ ही जेल अधिक्षक जी.एल. नेटी के दफ्तर में बारिश के बूंदे टपकती देखी गई। 5 बेरोजगारों को रोजगार देने की मंशा से मंडी निधि से 4 करोड़ की लागत से कांप्लेक्स निर्माण की स्वीकृति मिली जिसमें74 कमरे बनाए गए जो अलग-अलग साइजों में बनाए गए हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि ठेकेदार की लापरवाही के चलते निर्माण कार्य लंबित है। कांप्लेक्स निर्माण करने वाली कंपनी मे वेंकट कंस्ट्रक्शन कंपनी छतरपुर का टेंडर निरस्त कर दिया गया था, लेकिन ठेकेदार द्वारा भोपाल में अपील कर निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए कुछ समय मांगा गया है। अपील मंजूर करते हुए कुछ समय ठेकेदार को निर्माण कार्य पूर्ण करने के लिए दिया गया है समय का फायदा उठाते हुए जल्दबाजी में गुणवत्ता विहीन कार्य कराया जा रहा है। जिसकी सूचना स्थानीय ग्रामीणों से प्राप्त हुई है। अतरू मंडी बोर्ड के उच्च अधिकारियों को निर्माण कार्य की गुणवत्ता का निरीक्षण किया जाना चाहिए, क्योंकि कराए जा रहे निर्माण कार्यों में लीपापोती की जा रही है। 6 जिला मुख्यालय बालाघाट पहुंचे ग्राम भौरगढ़ के निवासी लक्ष्मण, आरती, मीरा, अमन, ने बताया कि पिछले काफी समय से अनावेदक बबलू लिल्हारे द्वारा धमकी देकर आए दिन गाली गलौज की जाता है और मारने की कोशिश भी की जा चुकी है... जिसको लेकर आवेदक ने जिला मुख्यालय पहुंच कर पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई की मांग की ... आवेदकों के द्वारा आवेदन के माध्यम से पुलिस अधीक्षक को बताया गया कि बबलू लिल्हारे पूर्व में कारावास की सजा काट चुका है... 7 घरेलू हिंसा विशेषकर महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने व पारिवारिक विवाद को सुलझाने राज्य स्तर पर बालाघाट जिले में 2018 में वन स्टाप सेंटर की स्थापना की गई थी। लगभग तीन वर्ष के अंतराल मे इस सेेंटर मे पूरे जिले भर से 2 हजार से ज्यादा मामले पंजीबद्ध किए गए। जिसमें से लगभग 12 सौ मामले आपसी सहमति से सुलझा भी लिए गए। दिए गए आकड़ो से यह स्पष्ट होता है कि जिले के खैरलांजी और लालबर्रा क्षेत्र मे घरेलू हिसंा के सर्वाधिक मामले पंजीयन कराए गए है। शासन की इस महत्वकांक्षी योजना से जिले के सैकड़ो परिवार बिखरने से बच रहे है। वही महिलाओं पर होने वाले अत्याचारो में कमी आई है। यहां पर सुलह के साथ साथ जो समझाईश दी जाती है उसका पति पत्नि पर अच्छा असर पड़ता हुआ दिखाई देता है।