शहर मे गत ९ अप्रैल से जिले में लाकड़ाउन लगा है और पुलिस सख्ती के दावे कर रही है। फिर भी शहर की सडक़ो मे लोग कम संख्या किसी ना किसी बहाने से निकल रहे है। इनमें से कुछ का तो निकलना कार्य के लिए होता है लेकिन कुछ लोगो का निकलना एक शहर मे घूमने के लिए निकला जा रहा है। जबकि जगह जगह लगे आमजनो से पूछताछ के लिए चैक प्वाइंट बनाया गया है। ताकि जहां पुलिस कर्मीयो को तैनात किया गया है। लेकिन दिन भर शहर की सडक़ो मे घूमने वालो को यह पुलिस कर्मीयो के पास इतनी भी फुर्सत नही है कि इन्हे रोककर पूछताछ करें कि कहां जा रहे है और किस कार्य से जा रहे है। बल्कि धूप से बचने के लिए एक ही जगह पर बैठकर इधर उधर घूमने वालो को देखते रही । कोरोना १९ का यह भयावह रूप अब देखने का हो गया है। क्योकि जिलेे के जिला चिकित्सायल में जहां प्रतिदिन कोविड मरीज भर्ती हो रहे है उससे कुछ अधिक संख्या में मरीजो की मौत भी हो रही है। जिनके शव को अस्पताल के कर्मीयो के द्वारा सुबह से मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किए जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इतना ही नही यह सिलसिला रात ९ बजे हो या फिर १२ बजे तक मृत मरीजो के शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यदि पूरे जिले की बात करें तो सभी जगह पर २ या ३ मरीजो की मौत हो रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग में बैठे मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डा मनोज पंाडे के ईशारे पर कोरोना पाजीटिव मरीजो की संख्या के आंकड़ो के तो बढ़ते दिखा रहे है लेकिन मरीजो की मौत के आंकड़ो पर आंकड़ो की बाजीगिरी का खेल भी खेल रहे है। विकास खण्ड क्षेत्र बिरसा में कोरोना टीका लगाने के लिए राजमार्ग के समीप किनारे लंबी लाइनों का कतारें देखने को मिल रहे हैं प्रतिदिन खड़े रहते हैं कम से कम ३०० लोग सबसे ज्यादा मलाजखंड के लोग प्रमाण पत्र लेकर खड़े रहते हैं । जिस पर स्थानीय प्रशासन के द्वारा इन लोगो पर किसी प्रकार से कोई ध्यान नही दिया जा रहा है कि दूरी बनाकर कतार से खड़े रहे। जबकि इन लोगो की कतार में यदि कोई पाजीटिव मरीज पहुचता है तेा संभवत बिरसा क्षेत्र कोरोना की चपेट मे आने की संभावना है। कोरोना संक्रमण के दौरान देश मे चारो ओर लाकड़ाउन जैसे हालात हो चुके है। इसके साथ ही बालाघाट जिले मे भी गत ९ अप्रैल से लाकड़ाउन लगाया गया है। जिसके चलते बाजारों मे जहां खाद्य साग्रीयो की किमतो मे ईजाफा हो चुका है। इसाक नजारा तुवर दाल, खाद्य तेल की किमत व्यापारियो ने दुगुनी राशि मे बेचने का काम कर रहे है। जबकि पूर्व मे भी बताया गया कि खाद्य तेल की अमानक स्तर पर मिलावट कर उसे जिले की दुकानो में बेचने के लिए भेजा जाता है और आज इसी उद्देश्य को लेकर तेल व्यापारियो के द्वारा आमजनता को लुटने के लिए तेल के दामो में बढोत्तरी की गई है। भीषण गर्मी के शुरूआत होते ही नालेए डेम और तालाबों का जल सूखने लगा है। जलस्रोत तेजी से सूखने से जंगलों से हरियाली गायब हो रही है। इधरए जंगल से पानी की तलाश में अब वन्यप्राणी चीतल जंगली सूअर सहित अन्य वन्यप्राणी गांव की ओर रूख करने लगे है। ऐसे में शिकारियों का शिकार आवारा कुत्तों या फिर चौपहिया वाहनों की चपेट में आने से मौत होने की संभावना बनी रहती है। बावजूद इसके इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। दरअसल अप्रैल माह प्रारंभ होते ही जंगल के नदी नालों में सूखने लगे है और जंगल में कोई भी नालों पर बोरी बधान नहीं किया गया। जहां पर डेम का निर्माण किया गया है वहां पर लोहे के गेट नहीं लगाए जाने से बारिश का पानी रूकने की जगह पूरी तरह से बह गया।