1 यदि आप अपने भोजन मे खाने का तेल का इस्तेमाल कर रहे है तो देख परख कर बाजारो से तेल खरीदे.. क्योंकि बालाघाट शहर में नकली मिलावटी तेल का कारोबार धड्ल्ले से चलाया जा रहा है..लूज आईल के ड्रमो से तेल निकालने और उसे पेकिंग की जाने वाली सामग्री की तस्वीर खुद ब खुद बयां कर रही है कि वास्तविकता क्या है और कितने वर्षाे से यह गोरखधंधा चल रहा है। जिसके तहत अब जनता सावधान हो जाईएं क्योकि शहर मे बिक रहा नकली मिलावटी खाद्य तेल और जिला प्रशासन के द्वारा किसी प्रकार से कोई कार्यवाही नही की जा रही है। हालांकि क्योकि गत माह खाद्य विभाग के द्वारा लिया गया तेलो के सेम्पल भी अमानक आने पर विभागीय अधिकारी भी चिंतित नजर आ रहे है। 2 बालाघाट महिला एवं बाल विकास परियोजना खैरलांजी के परियोजना अधिकारी लकेश उके के का एक वीडियों सोशल मीडिया में वाईरल होन एवं समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों व आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता-सहायिका के संगठनों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करते हुये कलेक्टर दीपक आर्य ने बाल विकास परियोजना खैरलांजी लकेश उके कलेक्ट्रेट कार्यालय में अटैच कर दिया है। इसके साथ ही बाल विकास परियोजना अधिकारी वारासिवनी पीयूष बोपचे को खैरलांजी परियोजना का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। परियोजना अधिकारी पीयूष बोपचे को तत्काल खैरलांजी परियोजना का प्रभार ग्रहण करने के निर्देश दिये गये है। जांच दल द्वारा की जाने वाली जांच प्रभावित न हो इसके लिए परियोजना अधिकारी लकेश उके को तत्काल प्रभाव से कार्यालय कलेक्टर (स्थापना) बालाघाट में संलग्न कर दिया गया है। 3 नगरपालिका अंतर्गत शहर के 33 वार्डों में निवास करने वाले कई गरीब एवं विकलांग हितग्राहियों को पिछले ३ माह से प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाले पेंशन नहीं दी गई है, जिसके चलते गरीब हितग्राहियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई में पहुंचे विकलांग हितग्राही डुलीचंद हटवार ने बताया कि उसे पिछले 3 माह से नगरपालिका के द्वारा दी जाने वाली पेंशन उसके खाते में नहीं आई है, कई बार वह बैंक के चक्कर काटकर परेशान हो गया है। अब रूपयों के की के चलते राशन सहित अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए हमारे पास पैसे नहीं बचे है, जिससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही जनसुनवाई में पहुंची बुजुर्ग महिला कंचना बाइ निवासी गौरीशंकर नगर ने बताया कि उसे नगर पालिका के माध्यम से ६०० रूपये प्रतिमाह वृद्धा पेंशन मिलती है, लेकिन पिछले तीन माह से उसे पेंशन नहीं मिली है, जिसके चलते आर्थिक दिक्कते आ रही है। 4 बालाघाट जिले की जनपद पंचायत बैहर की ग्राम पंचायत सरेखा मे सरपंच और सचिव की मनमानी के चलते शासन को चूना लगाने का काम चल रहा है। यही नही सचिव के द्वारा फर्जी हाजरी भरने का खेल भी चल रहा है। जिस संबध मे विगत दिनो ग्रामीणेा के द्वारा जिला प्रशासन और जनपद पंचायत बैहर सीईओ को ज्ञापन सौपा गया था। जिस पर अधिकारियो ने मामले को संज्ञान मे लेते हुए जांच के लिए टीम गठित कर जांच के लिए भेजी। लेकिन जांच टीम के द्वारा कुछ नही किया गया.. 5 जनपद पंचायत कटंगी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत नांदी में 105 मीटर लंबी और साढे 3 मीटर चौडी सड़क का निर्माण कार्य 3 लाख रुपए की लागत से स्वीकृत हुआ था.. जिसमे गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण किया जा रहा है यह आरोप यहां के ग्रामीणों ने लगाया है.. ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क के निर्माण कार्य में सीमेंट की मात्रा काफी कम है ऐसे में यह सड़क कुछ दिनों में ही उखड़ जाएगी ग्रामीणों ने बताया की निर्माण एजेंसी द्वारा तय मानको के अनुसार न तो सीमेंट का उपयोग कर रही और न ही अन्य सामग्री का उपयोग किया जा रहा है 6 बालाघाट जनपद पंचायत बिरसा के अंतर्गत ग्राम पंचायत गिडोरी निवासी आदिवासी महिला ने आकस्मिक दुर्घटना में अपने पति की मौत के बाद 8 माह बाद भी शासन द्वारा स्वीकृत मुआवजा राशि के नहीं मिलने पर कलेक्टर से राशि दिलाने की मांग की है। मृतक फुलवंत मेरावी की पत्नी भुरी बाई ने बताया कि उसके पति फुलवंत मेरावी की मौत 17 मई को दुर्घटना में हो गई थी ,जिसके बाद पीएम के बाद रिपोर्ट में सरकारी योजना के तहत 4 लाख रूपये की राशि देने की स्वीकृति दी गई, लेकिन आज 8 माह बीत जाने के बाद भी राशि नहीं मिल पाई है। 7 अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के नेतृत्व में बैहर क्षेत्र के ग्राम पंचायत सोनगुड्डा के ग्राम चारघाट पटेलटोला के एक दर्जन से अधिक आदिवासी ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में वन विभाग द्वारा भूमि पर कब्जा किए जाने की बात को लेकर परेशान करने की शिकायत करते हुये वनाधिकार का पट्टा प्रदान करने की मांग की गई है। इस संबंध में बताया कि सोनगुड्डा पंचायत के ग्राम चारघाट के आदिवासियों द्वारा वन भूमि के पूर्वजों के समय से करीब ४०-५० वर्षाे से निवास कर रहे है। लेकिन इन्हें शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है न ही किसी तरह की सुविधा मिल रही है। वन विभाग द्वारा इनसे बार-बार दस्तावेज के बारे में पूछताछ की जा रही है।