हम और आप जब सूत कातने वाले चरखे के बारे में बात करते है या पढ़ते है तो हमारे जहन में महात्मा गांधी की तस्वीर सामने आती है । उसी संस्कृति और परंपरा को अभी भी जिंदा रखे हुए है बाबूनाथ योगी जी हां हम बात कर रहे हैंसीहोर जिले के जावर तहसील के ग्राम हाजीपुर में गांव का एक बुजुर्ग बाबूनाथ योगी की जो चरखा चलाकर सूत कातकर अपना जीवन यापन करता है ,साथ ही दीपावली पर ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण अपने पशुधन को सजा धाजाकर श्रृंगार कर उसकी पूजा करते है । यह परिवार पशुओं को श्रृंगार करने वाली चीजें जिसमे हार, फुंदे, शैली,घुंगरू वाली माला,फूलवाली माला,बैलो की नाक छेदकर बांधने वाली नाथ,गुल,आदि का बाजार से कच्चा माल लाकर घर पर इन सब चीजों को तैयार कर बाजार में बेचते है।और इस तरह की परंपरा और संस्कृति को चलाकर अपना जीवन यापन कर रहें हैं ।