शहर की दिल की धड़कन कहे जाने वाला पावरलूम उद्योग पहले से सरकार की उपेक्षा की मार झेल रहा था और अब पिछले एक वर्ष से कोरोना के चलते बनी विषम परिस्थितियों से ज़बरदस्त आर्थिक मंदी की मार के चलते बंद होने की कगार पर है,वजह मंदी के हालात से जूझ रहे बुनकर अब अपनी पॉवरलूम मशीनें कबाड़ के भाव बेचने को विवश हो रहे हैं, शहर में 40 हज़ार से अधिक पावर लूम संचालित किए जा रहे हे जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 1लाख परिवार अपनी रोजी रोटी कमाते हैं लेकिन पिछले साल लगे लॉकडाउन और इस वर्ष 15 अप्रैल से लगे लॉकडाउन ने पूरी तरह से पावरलूम उद्योग की कमर तोड़ कर रख दी है लॉकडाउन के चलते बुनकर आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं । बुनकर सलीम अंसारी और अब्दुल रशीद बताते है कि अब पावरलूम मालिकों ने अपनी पावर लूम बेचकर दूसरों के यहां मजदूरी करना भी शुरू कर दिया है। पावरलूम उद्योग को बचाए रखने के लिए जहां बुनकरों की संस्था के अध्यक्ष रियाज अंसारी और मध्य प्रदेश राज्य पावरलूम फेडरेशन के उपाध्यक्ष आरिफ अंसारी ने अपने स्तर से अथक कोशिश की है बावजूद इसके पावरलूम उद्योग को जीवित रखने के लिए सरकार के पास कोई कार्य योजना नहीं है