क्षेत्रीय
एक छोटा सा गांव रानीपुरा भिंड जिले के चंबल की बीहड़ों स्थित है। यहां एक ऐसा मंदिर है जहां कोई देवी-देवता की प्रतिमा नहीं है। बल्कि एक युवती पिछले 24 साल से रह रही है। यह युवती इस मंदिर से बाहर नहीं निकलती। पूरे समय एक आसन पर बैठी रहती है। युवती ने करीब आठ साल की उम्र में वैराग्य ले लिया था। तब से अब तक मंदिर में बिना किसी से बातचीत किए रहती है। गांव के बबलू सिंह भदौरिया का कहना है कि बाल्य अवस्था में नवदुर्गा उत्सव के दौरान वैराग्य धारण किया। पहले जंगल में बैठ गई थी। लोगों के निवेदन पर यहां आकर बैठी। उनके पिता ने मंदिर बनवा दिया तब से अब तक यहीं विराजमान है।