मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सुराज अभियान की भिंड जिले में धज्जियाँ उड़ रही है। न्यायालयों में नियमित सुनवाई न होने की वजह से सालों तक लोगो के प्रकरण चलते रहते हैं मुख्यमंत्री ने राजस्व न्यायालयों में भूमि के नामांकन, सीमांकान, बंटवारा, अभिलेखों में सुधार सहित अन्य प्रकरणों की सुनवाई के लिए आवेदकों को परेशान न होना पड़े इसके लिए लोक सेवा ग्यारंटी को अमली जामा पहनाया था ताकि प्रदेश की जनता परेशान न हो। इसमें यह सुविधा जनता को प्रदान की गयी थी कि यदि सुनवाई की तारीख तीस दिन तक नहीं आती है तो रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) से यह स्वत: निर्धारित हो जाएगी। इसकी सूचना संबंधित अधिकारी के साथ आवेदक को भी एसएमएस के माध्यम से मिलेगी। मगर लहार अनुविभाग में इस तरह की सुविधा जनता को मिलना तो दूर प्रकरण निपटारे के लिए अधिकारी कुर्सी पर उनकी बात सुनले यही गनीमत है ताजा मामला लहार अनुभाग के रौन तहसील का है जहाँ रैमजा निवासी जागेश्वर शर्मा लंबित राजस्व प्रकरण से इतने परेशान है कि उनकी भूस्वामी वाली भूमि न्यायालय प्रकरण में ऐसी उलझ गयी है कि उसकी स्व-स्वामित्त की भूमि को दंबगो द्वारा कब्जा कर पकी पकाई फसल तक काटने के साथ जान से मारे की घमकी दी जा रही है और वह लहार अनुविभागीय अधिकारी से मदद की गुहार लगा रहा है मगर उसे यहाँ की लचर कार्यशैली के चलते न्याय नहीं मिल पा रहा है। व्यक्ति का कहना है कि लहार अनुविभागीय अधिकारी सहाब मेरे प्रकरण को जब संज्ञान लेगे जब तक फरियादी या आरोपी में एक बचेगा और फसल मेरी दंबगई के चलते आरोपी काटकर घर ले जायेगे